पढ़ाई के कोर्स में संस्कृत भाषा को जोड़ने पर जोर क्यो दिया है
संस्कृत भाषा संस्कृति देने वाली है। संस्कृति को संभाले रखने वाली भाषा है संस्कृत भाषा। इसका उद्धगम वेदो और शास्त्रों के समय ही हुआ था। ऐसा हमारे वेद बताते है।
इसका इतना महत्व क्यो है। पढ़ाई कर कोर्स में संस्कृत भाषा को जोड़ने पर इतना महत्व इसलिये दिया गया है क्योंकि इससे बच्चों की दिमागी क्षमता मजबूत होती हैं और उनके बोलने की शक्ति या उच्चारण करने की क्षमता (किसी भी शब्द को बोलने की क्षमता ) क्लियर होती हैं। बड़ बड़ नही बोलते है इसको पड़ने से । इसको पड़ने से बच्चों में sense of morality बढ़ती हैं मतलब संस्कार खुद ब खुद पनपते हैं और बढ़ते हैं। क्योंकि संस्कृत के श्लोको, वेदों और शास्त्रों, गीता या रामायण से आते हैं। हां संस्कृत में लिखी हुई रामायण भी आते है जो वलमिल्की जी ने लिखी हैं। संस्कार तो बढ़ते ही है साथ मे जिज्ञासू प्रकृति भी बढ़ती हैं क्योकि वो इनके अर्थ को ढूंढने की लेकर मेहनत करते हैं।
विज्ञान भी अब भारतीय वेदों शास्त्रों पर ज्यादा से ज्यादा research खोज कर रहा हैं क्योंकि हमारे वेदो शास्त्रो में काफी गूढ़ रहस्य छुपे हुए है, जिससे विज्ञान science को काफी मदद मिलती है।
संस्कृत भाषा इतनी बुद्धिमत्ता से भरी हुई भाषा है कि आज कई सारे रिसर्च सेंटर, इंस्टिट्यूट जो है वो संस्कृत के ऊपर रिसर्च कर रहे है कि ये इतनी खूबसूरत भाषा क्यो हैं। संस्कृत भाषा अल्प भाषी भी है यानि कम शब्दो में ज्यादा बात बोलने वाली भाषा है। इसलिए आजकल कंप्यूटर भाषा के तौर पर संस्कृत को लागू किया जाने लगा है
भावार्थ:- उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें । वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे ।
जैसे ये मंत्र संस्कृत में कितना काम शब्दो मे लिखा गया हैं, वही इसका हिंदी अनुवाद कितना आप देख सकते है।
संस्कृत में शब्द इस प्रकार से है कि उनको बोलने पर मुँह की जितनी बनावटे वो सब बन जाती है या यूं कहें कि मुँह का व्यायाम हो जाता है जिससे शब्दों की क्लेरनेस बढ़ती है। बच्चो की आवाज भी साफ होती है। शब्दो को पहचानने में मदद मिलती है
इसलिए संस्कृत भाषा इतनी खास बनती जा रही है
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